धर्म (Dharm) Religion
जो दृढ राखे धर्म को,
नेहि राखे करतार.
जहाँ धर्म नहीं, वहां विद्या, लक्ष्मी. स्वास्थ्य आदि का भी अभाव होता है.
धर्मरहित परिस्थिति में बिलकुल शुष्कता होती है, शून्यता होती है. - महात्मा गाँधी जी
पर हित सरिस धर्म नहिं भाई.
पर-पीड़ा सम नहिं अधमाई.
- संत तुलसीदास जी
मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करेगी और यह सत्य है- आचार्य तुलसी जी
धर्मो रक्षति रक्षतः - महाभारत
अर्थात मनुष्य धर्म की रक्षा करे तो धर्म भी उसकी सुरक्षा करेगा यह सुनिश्चित है.
धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदल सकता है. - आचार्य तुलसी जी
धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं होगा और
धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी होगा. - आचार्य तुलसी जी
प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण होगा. लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं हो सकती. - आचार्य तुलसी जी।