Saturday 19 June 2021

क्यों हार गए मोदी जी? न्यूयॉर्क टाइम्स से जारी किए हुए आर्टिकल का पूरा सच क्या है जाने!



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जब सोमवार के दिन 3 कांग्रेसियों मंत्री और मुख्यमंत्री ने अपने सूबे के साथ शपथ ली, उसे देखते हुए कुछ सोशल मीडिया पर आर्टिकल्स लिखने वाले लेखकों ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर यह शेयर किया.

उनका यह कहना कि अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स में पांच राज्य सहित वहां के विधानसभा चुनावों की बारे में बात करते हुए जो मुख्य कारण हैं उनकी एक लिस्ट तैयार की और इस खेल में आखिर भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी को हार का सामना क्यों करना पड़ा.

जो भी आर्टिकल शेयर हो रहे है उसे देख ने के बाद अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत का जो वोटर्स पैटर्न है उसको सही करने की कोशिश की और यह भी बताया की जो हालात हैं उन्हें देखते हुए मोदी सरकार को अपने नतीजों से सीखना चाहिए.


आपको बता दें कि इस आर्टिकल को तस्वीरों के साथ टेक्स्ट मैसेज के तौर पर और अंग्रेजी भाषा और कई तरीकों से इसको शेयर व फैलाया जा रहा है साथ ही साथ व्हाट्सएप के माध्यम से फेसबुक के माध्यम से और इंस्टाग्राम और कई अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसे जारी रखा जा रहा है.


यही नहीं बल्कि कुछ लोगों ने तो अपने आर्टिकल्स को इस तरह लिखा है कि उन्होंने भारतीय वोटर्स को पूरे हद तक नीचा दिखाने की कोशिश की गई है. आर्टिकल में लिखा गया है कि भारतीय वोटर हमेशा शिकायतों के साथ रहते हैं साथ ही साथ उन्हें समस्याओं का निवारण तुरंत चाहिए होता है वह अपनी लंबी डिमांड लिस्ट के साथ वोट डालने के लिए तैयार होते हैं. 


 शेयर किए गए आर्टिकल में कितनी सच्चाई और क्या-क्या लिखा गया है?

भारत के लोगों के नजर में जो भी काम है वह सिर्फ सरकार का है और सरकार का ही होना चाहिए और उन्हें अपनी समस्याओं के हल लंबे समय के लिए नहीं चाहिए.

भारत वासियों को याददाश्त की बीमारी है वह हर बात भूल जाते हैं और उनका देखने का नजरिया भी बहुत गलत है.

भारतीय हर पुरानी बात को आसानी से भुला देते हैं और अपने पिछली नेताओं को उसकी हर गलती के लिए माफ कर देते हैं.

भारत में ज्यादातर सभी ढीठ होकर ऑडिट बने से वोट देते हैं वह जातिवाद को लेते हुए और जातिवाद को मुख्य आधार मानकर ही वोट डालते हैं जातिवाद भारत में काफी हद तक हर युग में फैलाई गई है जिसको आज भी हथियार बनाकर वहां की सरकार इस्तेमाल कर रही है.

यही नहीं पाकिस्तान और चीन में भी जातिवाद फैलाने की कोशिश की जा रही है क्योंकि दोनों देश ही अपनी जीडीपी को लेकर भारतीय बाजार पर निर्भर हैं.

भारत के लोगों को सब कुछ संस्था चाहिए चाहे डीजल हो या पेट्रोल हो सब कुछ फ्री में मिल जाए लेकिन सबके साथ सबका विकास वाली बात को सुनते ही सब पीछे हट जाते है.

भारतीयों को सिर्फ अपनी पॉकेट अपनी जेब भरने से ही मतलब होता है.

भारत में अगर जीतना है तो मोदी को अपना स्टेटमेंट सब छोड़ कर असली पॉलिटिशन की तरह सामने आना होगा.

साथ ही इस लेख में यह भी सजा दिया गया कि मोदी जी ने बतौर पीएम हर हद तक काम किया है लेकिन लोगों को उनके काम पसंद नहीं और ना ही वह उनके काम की प्रशंसा करेंगे.


लेख का पूरा सच जानने के लिए बड़े नीचे दिए हुए सारे तथ्य.


यहां वहां जहां से पता किया और सच सामने आ ही गया यह जो लिख बताकर शेयर किया जा रहा है यह सरासर फर्जी पोस्ट है

फेसबुक के सर्च पोर्टल पर पता चला 11 दिसंबर को न्यूयॉर्क टाइम्स की तरफ से यह आर्टिकल बताकर शेयर किया जा रहा है


लेकिन जब आप नरेंद्र मोदी या विधानसभा चुनाव 2018 जैसे कीवर्ड्स का इस्तेमाल अपने सर्च पोर्टल पर करेंगे तो यह साफ-साफ जारी हो जाएगा. कि यह न्यू यॉर्क टाइम्स की तरफ से ऐसा कोई भी आर्टिकल जारी नहीं किया गया जिसमें विधानसभा चुनावों को लेकर आलोचना या विवेचना की गई हो बात भारत की हो या भाजपा की हो चाहे हार की हो या जीत की हो इस तरह की अश्लील बातें भारत को लेकर कोई भी न्यू यॉर्क टाइम्स में इस तरह का लिंक नहीं जारी करेगा.

बात अगर भाषा की करें तो आप बारीकी पर उतरे और ध्यान से इस लेख को टि्वटर हैंडल पर जाकर पड़े आप समझ जाएंगे कि अंग्रेजी के शब्द जो कास्ट किए गए हैं और साथ ही प्रमोट किए गए हैं जैसे सरल शब्द भी वहां गलत लिखे हुए हैं.


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